लोरी (यबोपवीत संस्कार पर गाने योग्य गीत)


लोरी (यबोपवीत संस्कार पर गाने योग्य गीत)


लोरी देती तेरी मात, लाल बन आर्यवीर दिखलाना।


पढ़ना गुरुकुल में जा वेद, जानो धर्म कर्म के भेद।।


तेरे दूर होंय सब क्लेष, बन कर वोर स्नातक आना।।


बनो जो ब्राह्मण विद्यावान्, बनना गौतम कपिल समान।


बनो नष्ट करके सारा अज्ञान, बेटा 'ऋषि' पद्वी को पाना।।


अर्जुन भीष्म से तुम वीर, मारो तान-तान के तीर।


तेरा विध जाय सकल शरीर, तो भी शैया-बाण बिछाना।।


रीति वीरों को कभी न छोड़ों, लाखों चक्रव्यूह को तोड़ों।


लाखों वीरों के मुख मोड़ों, ऐसे सम्मुख हाथ दिखाना।।


रण में तू यों जाये, देखत दुश्मन के दिल फट जाये।


बढ़ता ही जाये न कहीं रण में पीठ दिखाना।।


यदि तुम व्यापार प्रवीन, कभी मत होना लोभाधीन।


बनकर 'भामाशाह' प्रवीन, मातृ गौरव को सदा बढ़ाना।।


या जिसकी तुम कहलाओ, उसकी खातिर प्राण गंवाओ।


उसके पूर्ण भक्त बन जाओ मत कहीं मेरा दूध लजाना।


शिक्षा दे रही तेरी मात लाल बन आर्य वीर दिखलाना।।


 


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।