क्रान्तिकारी देशभक्त बलिदानी महिला दुर्गावती देवी दुर्गा भाभी


          दिनांक 7 अक्टूबर, 2019 का दिन आजादी के आन्दोलन में महिला क्रान्तिकारी दुर्गावती देवी (दुर्गा भाभी) की 112वीं जयन्ती का दिन है। दुर्गा भाभी का जन्म आगरा में आज के ही दिन हुआ था 11 वर्ष की आयु में उनका विवाह प्रसिद्ध क्रान्तिकारी श्री भगवती चरण वोहरा से हुआ था उनकी एक सन्तान हुई थी जिनका नाम सचिन्द्र वोहरा था।


            दुर्गा भाभी के पति क्रान्तिकारी संगठन हिन्दुस्तान सोशिलिस्ट रिपब्लिकन एसोसियेशन के सदस्य थे। उनकी मृत्यु बम बनाते हुए एक बम के फट जाने से हुई थी दुर्गा भाभी क्रान्तिकारी संगठन 'हिन्दुस्तान सोशिरिस्ट रिपब्लिकन एसोशियेशन' एवं 'नौजवान भारत सभा' की सदस्या थी। दुर्गा भाभी ने शहीद भगत सिंह और राजगुरु को लाहौर में सांडर्स की हत्या करने के बाद उन्हें वहां से सकुशल बाहर निकालने में सहायता की थी। इस घटना में तीनों के ही प्राण संकट में पड़े थेसाथ में गोद में खेलने वाला दुर्गा भाभी का पुत्र सचिन्द्र भी था।


           श्री जतिन्द्र नाथ दास एक क्रान्तिकारी थे। वह देश भक्ति के आरोप में लाहौर जेल में बन्द थे वहां उन्होंने भूख ताल का था। भूख हड़ताल के 63वें दिन उनकी मृत्य मृत्यु हो गई थी शहीद जतिन्द्र नाथ दास का शव लाहौर से कलकत्ता । लाया गया था। इस शव यात्रा का नेतृत्व दुर्गा भाभी जी ने किया था। लाहौर से कलकत्ता तक जहां जहां से यह शव यात्रा गुजरी थी, उन-उन स्थानों पर बड़ी संख्या में देशभक्त इस शवयात्रा में सम्मिलित हुए थे।


         दुर्गा भाभी का जीवन अनेक संघर्षों से गुजरा। आजादी के बाद की सरकारों ने दुर्गा भाभी व उनके पति के बलिदानी कार्यों को विशेष महत्त्व नहीं दिया। हम दुगा भाभी एवं उनके पति के बलिदान को याद करत है तो हमारा सिर श्रद्धा से उनका स्मृति मे झुक जाता है। मन में एक गीत को पंक्तियां गंजती हैं क्या । क्या लोग थे वो बलिदानी क्या लोग थे वो अमिमानी जा शहाद हुए है उनकी जरा याद करो कर्बानी। गीत के शब्द श्री भगवती चरण वोहरा और उनकी पत्नी दुर्गा भाभी पर सत्य चरितार्थ होते हैं दुर्गा भाभी जी को सादर नमन। 



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