कोई नृप होऊ हमऊ का हानि

कोई नृप होऊ हमऊ का हानि


     रामचरित मानस मे मंथरा केकई से कहती है कि कोई भी राजा बने मुझे  क्या हानि है। आज सामान्य हिन्दू के दिमाग मे यही वहम घुस गया है कि कोई भी शासक हो हमे कोई अंतर नहीं पड़ता। सच्चाई इसके विपरीत है। जरा इस धर्मांतरण विरोधी बिल के ड्राफ्ट और कांग्रेस के दंगा निरोधक बिल की तुलना करें। आपको स्वयं अंतर पता चलेगा। 


                  आइए मिलकर स्वागत करें समर्थन करें इस पहल का


हम सभी और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ ऋणी रहेंगी न्यायमूर्ति आदित्यनाथ मित्तल और सचिव सपना त्रिपाठी जी की। ( चित्र मे योगी जी के साथ)


   धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019 के ड्राफ्ट को आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदित्यनाथ मित्तल और सचिव सपना त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा. यूपी में भी बड़े पैमाने पर जबरन धर्मांतरण हो रहा है. लव जिहाद की आड़ में भी धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. इसके अलावा पहचान छुपाकर और प्रलोभन देकर भी धर्म परिवर्तन होता है. हिंदुओ और खासकर एससी-एसटी का प्रलोभन देकर धर्मांतरण किया जाता है. यूपी स्टेट लॉ कमीशन ने गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  को विधेयक से जुड़ा नया ड्राफ्ट सौंपा.


                               घर वापसी नहीं होगा अपराध


    ड्राफ्ट में कहा गया है कि अगर किसी ने दूसरा धर्म अपना लिया था लेकिन वह अपने पुराने धर्म में दोबारा वापसी करना चाहता है तो वह कर सकता है. यह अपराध नहीं माना जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया को धर्म परिवर्तन कानून से बाहर होगी.


                   धर्मांतरण के लिए महीने पहले देना होगा शपथपत्र


         ड्राफ्ट में सिफारिश की गई है कि अगर कोई व्यक्ति धर्मांतरण करना चाहता है तो वह पहले जिलाधिकारी या उसके द्वारा नामित अपर जिलाधिकारी को एक महीने पहले शपथ पत्र देना होगा. उसे यह भी घोषित करना होगा कि यह धर्मांतरण छल, प्रलोभन, जबरन या किसी अन्य प्रभाव में नहीं किया जा रहा है. इतना ही नहीं धर्मांतरण करने वाले धर्म गुरुओं को भी डीएम ऑफिस से प्रस्तावित फॉर्म भरकर एक महीने की नोटिस देनी होगी.


       साम्प्रदायिक और लक्षित हिंसा अधिनियम के बारे में आप क्या जानते हैं ?


       इसे सोनिया गाँधी ने बनवाया था. इसे बनने वाले कुछ महान लोग हैं--


        तीस्ता सीताल्वाडा, वृंदा ग्रोवर, फराह नकवी,हर्ष मंदर
                क्या है इस विधेयक में --


   १. यह विधेयक साम्प्रदायिक हिंसा के अपराधियों को अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के आधार पर बांटने का अपराध करता है। इस विधेयक में क्यों साम्प्रदायिक हिंसा के अल्पसंख्यक अपराधियों को दंड से मुक्त रखा गया है।


    २. अनुच्छेद 7 के अनुसार यदि एक मुस्लिम महिला के साथ दुर्व्यवहार होता है तो वह अपराध है, परन्तु हिन्दू महिला के साथ किया गया बलात्कार अपराध नहीं है जबकि अधिकांश दंगों में हिन्दू महिला की इज्जत ही निशाने पर रहती है।


     3- इस विधेयक में बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कट्घरे में खडा किया गया है।


     4- इस विधेयक में साम्प्रदायिक हिंसा की परिभाषा दी है,” वह कृत्य जो भारत के सैक्युलर ताने बाने को तोडेगा।”


   5- विधेयक के उपबंध 74 के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के ऊपर घृणा सम्बन्धी प्रचार या साम्प्रदायिक हिंसा का आरोप है तो उसे तब तक दोषी माना जायेगा जब तक कि वह निर्दोष सिद्ध न हो जाये। यह उपबंध संविधान की मूल भावना के विपरीत है। भारत का संविधान कहता है कि जब तक अपराध सिद्ध न हो जाये तब तक आरोपी निर्दोष माना जाये। यदि यह विधेयक पास हो जाता है तो किसी को भी जेल में भेजने के लिये उस पर केवल आरोप लगाना पर्याप्त रहेगा। उसके लिये अपने आप को निर्दोष सिद्ध करना कठिन ही नहीं असम्भव हो जायेगा। इस विधेयक में यह भी प्रावधान है कि अगर किसी हिन्दू के किसी व्यवहार से उसे मानसिक कष्ट हुआ है तो वह भी प्रताडना की श्रेणी में आयेगा।


     6-यदि किसी राज्य के कर्मचारी के विरुद्ध इस प्रकार का आरोप है तो उसके लिये उस राज्य का मुख्यमंत्री भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है क्योंकि वह उसे नहीं रोक सका है। इसका अर्थ है कि अब झूठी गवाही के आधार पर किसी भी विरोधी पक्ष के मुख्यमंत्री को फंसाना अब ज्यादा आसान हो जायेगा। जो मुख्यमंत्री अब तक इनके जाल में नहीं फंस पा रहे थे, अब उनके लिये जाल बिछाना ज्यादा आसान हो जायेगा।


    7-यदि किसी संगठन का कोई कार्यकर्ता आरोपित है तो उस संगठन का मुखिया भी जिम्मेदार होगा क्योंकि वह भी इस अपराध में शामिल माना जायेगा। अब ये लोग किसी भी हिंदू संगठन व उनके नेताओं को आसानी से जकड सकेंगे।


  8-अनुच्छेद 13 सरकारी कर्मचारियों पर इस प्रकार शिकन्जा कसता है कि वे मजबूरन अल्पसंख्यकों का साथ देने के लिये मजबूर होंगे चाहे वे ही अपराधी क्यों न हों।

    योगी जी से निवेदन है कि जल्दी से जल्दी इस ड्राफ्ट को कानून का रूप दें।


हमको करना है पूर्वजों के पापों का प्र्क्षालन ।
हमे तोड़ना है सदियों का विकट शृंखला का बंधन ।।


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