कन्या की विदाई

कन्या की विदाई


         बेटी का विवाह है। कितने मनोयोग से तैयारियाँ की हैं आपने ! कई बार तो सज-धज के लिए ग्राप पति से भी लड़ चुकी हैंआप माता हैं और निश्चय ही आपका यह विश्वास उचित है कि आपकी लाडली के लिए आप जितना कर सकती हैं उतना कोई दूसरा नहीं कर सकता। आप ही क्यों, हर माता अपनी कन्याओं के प्रति अधिक स्नेहिल और सदय होती है। आपको यह मान्यता भी उचित है कि आपकी कन्या का भावी जीवन आपसे भी अधिक मंगलमय होना चाहिए, और इसका विधान आप ही कर सकती हैं।


         कितने दिन से आपने मनोयोगपूर्वक विवाह की तैयारी की है। कन्या को रुचि के अनुसार तरह तरह के वस्त्र बनाए हैं, स्वर्ण-रजत के आभूषण बनाए हैं, गृहस्थ-जीवन के लिए आव- श्यक सभी उपादेय उपकरण जुटाए हैं; किसी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहतीं आप। पर, कभी आपने यह भी सोचा कि आपके दिए हुए वस्त्र कुछ दिनों में फट जाएँगे। आभूषण भी घिसेंगे। अन्य उपकरण टूट-फूट जाएंगे। आपने जो गुण अपनी कन्या में विकसित किए होंगे वे ही उसके जीवन-साथी होंगे। क्या आप अपनी पुत्री को ऐसी कोई वस्तु और नहीं देना चाहेंगी जो सद्गुणों की तरह ही आपकी पुत्री का साथ दे सके ? यदि ऐसा करना चाहें तो सुझाव है कि आप अपनी बच्ची को एक अच्छा-सा पुस्तकालय भेंट करें । पुस्तके सुख और दुख में सदैव प्रापकी पुत्री की अच्छी सहेली प्रमाणित होंगी।


         जितनी राशि अाप बाहरो सज-धज और प्रदर्शनीय वस्तुएं देने में खर्च करती हैं उससे बहत कम राशि में आप अपनी पुस्तकालयदान की इच्छा पूरी कर सकती हैं। अच्छी, सुरुचिपूर्ण, प्रेरक पुस्तके ड्रॉइग रूम की शोभा भी बढ़ाएँगी और आवश्यकता होने पर धैर्य, सन्तोष, विवेक, आदि के विकास में सहायक भी होंगी। वह तो स्वाध्याय करेगी ही, घर के अन्य लोग भी यदा कदा उनको देखेंगे । अच्छा साहित्य देखकर उनको आपकी पुत्री की परिष्कृत रुचि का परिचय मिल सकेगा। अाजकल नए वातावरण में यूवतियों को जिस तरह के मानसिक तनाव का अनुभव होता है उससे अापकी कन्या सदा मक्त रहेगी। सुरुचिपूर्ण साहित्य से उसका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य तो सुधरेगा ही, उसका आध्यात्मिक विकास भी होगा। घर से विदा होने के बाद, कन्या के साथ, उन पुस्तकों के रूप में आपकी भावनाएं सदैव विद्यमान रहेंगी।


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