जय जय पिता परम आनन्द दाता (भजन )
जय जय पिता परम आनन्द दाता (भजन)
जय जय पिता परम आनन्द दाता ।
जगदादि कारण मुक्ति प्रदाता ||१||
|अनन्त और अनादि विशेषण हैं तेरे ।
सृष्टि का स्रष्टा तू धर्ता संहर्ता ||२||
सूक्ष्म से सूक्ष्म तू है स्थूल इतना ।
कि जिसमें यह ब्रह्माण्ड सारा समाता ||३||
मैं लालित व पालित हूं पितृस्नेह का ।
यह प्राकृत सम्बन्ध है तुझ से ताता ||४||
करो शुद्ध निर्मल मेरी आत्मा को ।
करूं मैं विनय नित्य सायं व प्रातः ||५||
मिटाओ मेरे भय आवागमन के।
फिरूं न जन्म पाता और बिलबिलाता ||६||