जात कर्म संस्कार के समय (गीत)


जात कर्म संस्कार के समय (गीत)


इस कुल का ये दीपक प्यारा बालक आयुष्मान हो।


तेजस्वी वर्चस्वी निभाय सर्वोत्तम विद्वान हो।। 


परम भक्त बन परम प्रभु का अपना यश फैलाये ये।


मात-पिता की सेवा करके सच्चा सेवक कहलाये ये।।


नाम अमर करदे जगती में सर्व गुणों की खान हो।।१


बने सुमन सा कोमल सुन्दर सबको सौरभ दान करे।।


दुष्टों से ना डरे कभी भी श्रेष्ठों का सम्मान करे।।


मानव धर्म समझ कर चलने वाला चतुर सुजान हो।।२


विजय चौतरफ जय हो इसकी पावै सुख सम्मान भी।


शतायु जीवन पाकर निर्भय करे धर्म हित दान भी।।


नेता बने देश अपने को जगतो में सम्मान हो।।३


 


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