इस वाद पर आक्षेप


इस वाद पर आक्षेप
आक्षेप पहला आक्षेप


 


               एक विकासवादी, शास्त्रज्ञ के मतानुसार प्राणी के उद्भिज्जों से लेकर मनुष्य योनि तक पहुँचने में ६७ लाख योनियाँ बीच में कूती (आँकी) जाती हैं। परन्तु इन ६७ लाख योनियों का विवरण देकर, उनमें योनि-विकास प्रमाणित करने की तो कथा ही क्या है, उनके नाम भी बतलाना असम्भव है। जर्मन के प्रसिद्ध प्राणि-शास्त्र अर्जेस्ट हैकल ने एक जगह लिखा है कि 'मछली से मनुष्य होने तक कम से कम ५३ लाख ७५ हजार योनियाँ बीती हैं। सम्भव है कि यह संख्या इस (५३ लाख) से १० गुनी हो। पुराणों में कुल योनियाँ ८४ लाख वर्णित हैं, जिनका विवरण एक जगह इस प्रकार मिलता है- 


                                           स्थावर योनियाँ                     30 लाख
                                           जलचर योनियाँ                    09 लाख
                                           कृमि योनियाँ                       11 लाख
                                           पक्षी योनियाँ                        10 लाख
                                           पशु योनियाँ                         20 लाख
                                           मनुष्य योनियाँ                      04 लाख
                                           कुल योनियाँ                       84 लाख


               स्थावर योनियों को छोड़कर जलचर से मनुष्य तक ५४ लाख योनियाँ पुराणों के अनुसार हैं। परन्तु हैकल ने सैकड़ों वर्षों के बाद उन्हें केवल ५३.७५ लाख आँका है। फिर इन ५३.७५ लाख योनियों के विवरण देने में हैकल ने यह कहकर अपनी असमर्थता प्रकट की है कि-'सम्भव है यह संख्या इस से १० गुनी हो।' थोड़े से मुट्ठी भर स्तन्य जन्तुओं का विवरण देकर जिसके भीतर भी, लुप्त कड़ी, अभी तक बाकी ही है, योनि-विकास को प्रमाणित समझना, साहस मात्र है।



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