इबादित पूजा

इबादित पूजा


इबादित के लिए काफी नहीं माला घुमा देना,


किसी मन्दिर या मस्जिद में भी सिर झुका देना ।


इबादित है किसी बेआसरा को आसरा देना,


इबादित है किसी ऋणी का ऋण चुका देना ।


किसी मजलूम को जालिम से छुड़ा देना इबादित है,


किसी पीड़ित के दुःख में काम आना इबादित है।


इबादित है जवानी कौम की खातिर लगा देना,


इबादित है वतन के वास्ते सिर को कटा देना ।


किसी मजबूर अबला की जो असगत को बचाता है,


खुदा के करम से वह आदमी महत्व को पाता है ।


इबादित है किसी मगरुर के सिर को झुका देना,


इबादित है किसी गुमराह को रास्ता दिखा देना।


किसी बरबाद को आबाद करना इबादित है,


किसी नाशाद को दिलशाद कर देना इबादित है ।


यही है बन्दगी भूखे को दो रोटी खिला देना,


यही तसबी है नंगे को कुछ कपड़ा दिला देना ।


फना है शानो-शौकत तू कहीं मगरुर न होना,


खुदा है अपनी खलकत में तो इससे दूर न होना ॥


अगर दौलत के बल पर तू गरीबों को सताएगा,


तो हक की अदालत में तू भी बक्सा न जाएगा ।


किसी घायल के जख्मों पर अगर मरहम लगाएगा,


खुदा तुम को विपत्ति के थपेड़ों से बचाएगा,


इलमगो अगर तू है बेइलम को कायदा दे दे,


चलन को बेहतरी के वास्ते जानो-जबर दे दे ।


हुनरमन्दी है अगर तुझ में किसी को कुछ हुनर दे दे,


मुनासिब है किसी महरूर को कुछ फायदा दे दे ।


हर इक मुहताज का दुनियां में तू हाजतरवा बन जा,


खुदा ने आदमी तुझ को बनाया तू खुदा बन जा।


किसी गिरते को गिरने से बचा लेना इबादित है,


किसी बेकस को सीने से लगा लेना इबादित है।


करो हर एक से प्रेस तुम, यह प्रेम ही इबादित है,


सभी मखलूक हो सुन्दर यह चाहत ही इबादित है ।


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