नमस्कार मन्त्र


नमस्कार मन्त्र


ओं नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शङ्कराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च॥


ओ३म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥


                                                                                                                -यजुः०


         अर्थ-(शम्भवाय) उस कल्याण के स्रोत के लिए (नमःनमस्कार हो और (मयोभवाय) सुख के स्रोत के लिए नमस्कार हो(शङ्कराय) कल्याणकारी ईश्वर के लिए (नमः) नमस्कार (मयस्कराय) सुखकारी देव के लिए नमस्कार हो(शिवायकल्याणस्वरूप अधिदेव के लिए नमस्कार हो और (शिवतराय) अत्यन्त मङ्गलस्वरूप परमात्मा के लिए (नमः) पुनः नमस्कार हो।


         तीन बार शान्ति का पाठ इसलिए है कि हम इस प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि-


      हे प्रभो! हमारे आध्यात्मिक, आधिभौतिक एवम् आधिदैविक दुःखों की निवृत्ति कीजिए।


इति सन्ध्योपासनाविधिः॥


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