हवन यज्ञ क्यों करें

                हवन यज्ञ क्यों करें


       हवन का स्वास्थ्य रक्षा के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध है। अंग्रेजी भाषा में स्वास्थ्य-रक्षा के लिए जिस शब्द का प्रयोग होता है-वह है 'हाईजीन'। हमें तो यह अपने 'हवन' शब्द का ही अपभ्रंश प्रतीत होता है। हवन और हाईजीन दोनों का प्रयोजन भी एक ही है। हवन से दुर्गन्ध का नाश और सुगंध का विस्तार होता है। इसी सुगंध द्वारा वायु में आक्सीजन तथा ओजोन जैसी प्राणप्रद वायु का संचार होने लगता है। हवन की यह विशेषता है कि इससे न केवल दुर्गन्ध का नाश ही होता है अपितु सुगंध का विस्तार भी होता हैप्रत्येक नासिका इसकी साक्षी है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने हवन पर खोजकर इसे आश्चर्यजनक पाया। विदेशों में आर्यसमाज के साथ-साथ हवन-यज्ञ भी पहुंचा तो विदेशी लोगों का भी ध्यान इस ओर गया। अब ये हवन पर विशेष खोज एवं अनुसंधान कर रहे हैं। आप को यह जानकर सुखद आश्चर्य होगा कि अमेरिका जैसे सुदूर देश में अग्निहोत्र यूनिवर्सिटी स्थापित हो चुकी है। "फाईव फोल्ड पाथ' नामक संस्थान ने वाशिंगटन में अग्निहोत्र यूनिवर्सिटी की स्थापना कर अमेरिका, जर्मनी तथा कतिपय अन्य देशों में एवं भारत में भी यज्ञ के परीक्षण किये हैं एवं अखण्ड यज्ञों के परिणामों को अत्युत्तम अनुभव कर रहे हैंअपने देश में पण्डित वीरसेन जी वेदश्रमी, डॉ. फुन्दन लाल अग्निहोत्री, महात्मा प्रभुआश्रित जी, स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती जी तथा अन्य अनेक महानुभावों ने हवन यज्ञ की वैज्ञानिकता पर खोज की है। भारत के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक तथा आर्यसमाज के सुविख्यात संन्यासी स्वामी डॉ. सत्यप्रकाश जी ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यज्ञ पर एक पुस्तक लिखी है। उन्होंने सिद्ध किया है कि ब्रह्माण्डीय वायुमण्डल की शुद्धिकरण का एकमात्र उपाय हवन यज्ञ ही है। यज्ञ से ही द्यौः शान्ति होगी, यज्ञ से ही अन्तरिक्ष शान्ति होगी तथा पृथ्वी शान्ति होगी और सर्वशान्ति होगी तभी शान्तिरेव शान्तिः की अनुभूति होगी और सामा शान्तिरेधि अपने में भी शान्ति होगी-अन्यथा नहीं। भा शान्ति हागा-अन्यथा नही।


 


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