हमारा प्रारब्ध हमारे साथ है

   हमारा प्रारब्ध हमारे साथ है(महर्षी दयानन्द सरस्वती )


             करर्गवास से प्रस्थान कर स्वामीजी अनूपशहर में बाँसों की टाल के निकट एक कृटिया में सुशोभित हए। उस समय स्वामीजी रुग्ण थे, परन्तु टाल के स्वामी गौरीशंकर के औषधोपचार से स्वस्थ हो गये । बूदी के महाराज के गुरु रामदास वैरागी भी यहीं रहते थे। एक दिन जब स्वामीजी टाल से उठकर नगर के दूसरी प्रोर निवास करने के विचार से चलने लगे, तब रामदास ने कहा- "भगवन् नगर में आजकल भागवत की कथा बड़ी धूमधाम से हो रही है और आप भागवत का तीव्र खण्डन करते हैं। कहीं ऐसा न हो कि नगर में मधूकड़ी भी न मिलेस्वामीजी ने मुस्कराकर उत्तर दिया- "इसकी कोई चिन्ता नहीं, हमारा प्रारब्ध हमारे साथ है।"


                                          महर्षी दयानन्द सरस्वती  जीवन चरित्र 


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