हमारा अभिवादन नमस्ते ही है


हमारा अभिवादन नमस्ते ही है


       नमस्ते का अर्थ-- नमः + ते = नमस्ते, अर्थात् तेरे या आपके लिए आदर सत्कारनमः का अर्थ है सत्कार, श्रद्धा तथा झुकना। ते का अर्थ तुम्हें या आपके लिए। संस्कृत भाषा में छोटे बड़े दोनों के लिए एक वचन का ही प्रयोग होता है। अतः 'ते' ही छोटे बड़े सबके लिए आता है।


      प्रश्न-बड़े छोटों को नमस्ते कहें क्या यह असंगत तथा अनुचित नहीं ?


      उत्तर- नहीं। बड़ों का छोटों के प्रति आशीर्वाद ही उनकी पूजा अथवा सत्कार है।


      नमस्कार - नमः + कारः, यानि सत्कार किया। परन्तु इसमें यह नहीं आया कि किसका सत्कार किया। इसलिए नमस्कार शब्द अधूरा है। नमस्ते ही ठीक है। परस्पर मिलने पर अभिवादन के तौर पर और कोई भी शब्द संगत (उचित) नहीं है।


      शास्त्रों में नमस्ते का शब्द हजारों स्थानों पर मिलता है।


नमस्ते रुद्र मन्यवे। (यजुर्वेद)


      अर्थ-दुष्टों को रुलाने वाले परमात्मा को नमस्कार हो।


सा होवाच-नमस्ते याज्ञवल्क्याय। (शतपथ ब्राह्मण)


      गार्गी ने अपने पति याज्ञवल्क्य को नमस्ते कहा।


ज्येष्ठो राजन् वरिष्ठोऽसि नमस्ते भरतर्षभ। (महाभारत)


      शकुनि ने युधिष्ठिर को नमस्कार किया


      हरए नमस्ते हरए नमह। (गुरुग्रन्थ साहब)


      हरि (परमेश्वर) को नमस्कार है, नमस्कार है।


      


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।