एक आर्य देवी की कामना (गीत)
एक आर्य देवी की कामना (गीत)
स्वर्ग नगरी रे स्वर्ग नगरी। बनिजाय मेरौ देश-स्वर्ग नगरी
गाँधी बाबा देव दयानन्द ऋषि,
नींव डाल गये बड़ी गहरी।बनिजाय॥१
लेखराम श्री श्रद्धानन्द जी,
बतला गये वैदिक डगरी।। बनिजाय॥२
यहाँ हवन बैठकर करतीं,
आर्य देवियाँ अब सगरी।बनिजाय॥३
दैनिक हवन करें अब ऐसे,
डिब्बी में घृत संग सामगरी।।बनिजाय॥४,
गऊ माता और वेद की पोथी,
घर-घर में हों स्वर्ण गगरी।। बनिजाय॥५
वैदिक सन्देश के आगे,
फूट अविद्या सब भगरी।। बनिजाय॥६
राम भरत से हों भाई "देवेन्द्र"
सीता सती हों माँ सगरी।। बनिजाय॥७