ईश्वर


ईश्वर


प्र० 1    संसार को बनाने वाला कौन हैं?


उत्तर-    ईश्वर


 


प्र० 2    ईश्वर का मुख्य स्वरूप क्या है?


उत्तर-    ईश्वर सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, सर्वशक्तिमान, अनादि, अजर, अमर, निराकार तथा न्यायकारी है।


 


प्र०3      ईश्वर के कितने नाम हैं ।


उत्तर-    गुणों और कर्यों के आधार पर अनंत नाम हैं। परन्तु मुख्य नाम ओ३म है।


 


प्र० 4   ईश्वर के मुख्य कार्य कौन से हैं।


उत्तर-    ईश्वर के मुख्य कार्य हैं-संसार का उत्पन्न करना, पालना तथा संहार करना। कर्मो का फल भी केवल ईश्वर के आधीन है।


 


प्र० 5    क्या ईश्वर की भक्ति से पाप क्षमा हो जाते हैं।


उत्तर-    नहीं! हर बुरे कर्म का बुरा तथा अच्छे कर्म का फल अच्छा मिलता ही हैं।


 


प्र० 6    यदि भक्ति से पाप क्षमा नहीं होते तो भक्ति क्यों करें ।

उत्तर-   ईश्वर भक्ति कोई सौदा बाज़ी नही है कि ईश्वर भक्ति से प्रसन्न होता है या भक्ति न करें तो ईश्वर नाराज हो जाऐगा। ईश्वर भक्ति से मन को शान्ति तथा आत्मिक उन्नति मिलती हैअहंकार दूर होता है। बुद्धि निर्मल और तेज होती है। स्वास्थ के लिये लाभदायक है। इन सब से आगे के लिये अच्छे कार्य करने की प्ररेणा मिलती है।


             Meditation से हमारा मानसिक तनाव कम होता है तथा Immunity System शक्तिशाली बनता है जिससे हम स्वस्थ रहते हैं।


 


प्र०7    ईश्वर अवतार धारण करता है या नहीं?


उत्तर-   ईश्वर कभी अवतार नहीं लेता, न ले सकता है, क्योंकि वह तो निराकार तथा सर्वव्यापक है और जन्म, मरण, सुख-दुःख से रहित है। अवतार धारण करने की दशा में तो फिर उसमें ये गुण नहीं हो सकते और तब वह एकदेशी हो जायेगा तथा वह ईश्वर नहीं रहेगा। .


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