तात्या टोपे

तात्या टोपे


           तात्या टोप बिटर के राजा नाना साहब पेशवा का एक चतर और पराक्रमी सेनापति था। नाना साहब का जो अनेक विजये और यश प्राप्त हुआ उसका मुख्य कारण तात्या टोप ही था। इसका जन्म पुना (महाराष्ट) में हआ। सन १८५७ की क्रान्ति में तात्या टोप का महत्त्वपूर्ण योगदान अंग्रेजों के विरुद्ध सारे भारत में गुप्त संगठन का निर्माण करने का श्रेय श्री तात्या टोपे को ही मिलता है। भारतीय मूल की बहुत सारी अंग्रेजी सेना को तांत्या ने अपने साथ मिलाने का अद्भुत कार्य किया। अंग्रेजों से तात्या ने अनेक युद्ध किये। तांत्या ने ९ नवम्बर ५७ को कालपी तथा २६ नवम्बर के आक्रमण में कानपुर को जीता। झांसी पर विजय प्राप्त करने के लिए इसने भयंकर युद्ध किया जिसमें इसके १५०० सैनिक मारे गये। इसके पश्चात् ग्वालियर पर विजय प्राप्त की। अंग्रेजों से घिर जाने के कारण २० जून १८५८ को तांत्या ने ग्वालियर से निकल कर नर्मदा पार कर जाने की कोशिश की; किन्तु अंग्रेज सेना ने सामने आकर उसे रोक लिया।


         तात्या अंग्रेजों के लिए बहुत खतरनाक योद्धा बना हुआ था। उसको चारों ओर से घेर कर पकड़ने की योजना बनायी गयी किन्तु वह चीते के समान अंग्रेज सेनाओं के चंगुल से निकल भागा। वह अंग्रेजी सेना से युद्ध करते हुए भरतपुर, जयपुर, बूंदी, भीलवाड़ा, झालरा पाटन, चम्बल नदी की ओर निकल भागा। अंग्रेजी सेना रात-दिन उसकी खोज में लगी रहती। इसी बीच सिंधिया का मानसिंह नामक एक सरदार भी तांत्या से आ मिला१६ जनवरी को देवास में सवेरे ये सब बैठे विचार विमर्श कर ही रहे थे कि अंग्रेज सिपाहियों ने आ घेरा। वहां से भी ये लोग भाग निकलने में सफल रहे। इसके बाद तांत्या अलवर के निकट 'शिखर जी' नामक स्थान पर दिखाई दिये। 


        एक दिन तांत्या अपने कुछ साथियों के साथ मानसिंह से मिलने चला गया। मानसिंह ने उसे अपने पास रोक लिया। गद्दार मानसिंह ने ७ अप्रैल १८५९ को आधी रात के समय अंग्रेजों को बुलाकर तात्या टोपे को पकड़वा दिया। इस बीच मानसिंह गुप्त रूप से अंग्रेजों से मिल चुका था


       १८ अप्रैल १८५९ को तांत्या को भारी सेना की पहरेदारी में फांसी पर लटका दिया गया। तांत्या ने हंसते हुए अपने हाथों से फांसी का फंदा अपने गले में डाला। इस तरह १८५७ की क्रान्ति का यह वीर आजादी के लिए शहीद हो गया।


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।