दूसरा आक्षेप


            अबतक सैकड़ों जन्तु योनि रूप में, अन्धे ही पैदा होते हैं। पता नहीं इनका विकास क्यों नहीं हुआ? और पशुओं को छोड़कर अनेक द्वीपों में अब तक मनुष्य-भक्षक मनुष्य पाये जाते हैं। उन के ज्ञान की क्रमशः वृद्धि न होने का समाधान क्या है?



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