धीर हृदय-गुह में उपासना करते हैं

धीर हृदय-गुह में उपासना करते हैं


पश्वा न तायुं गुहा चतन्तं नमो युजानं नमो वहन्तम्।


सजोषा धीराः प॒दैरनु ग्मन्नुप त्वा सीदन् विश्वे यजत्राः ॥


विनय-मैं तुझे कैसे ढूँढूँ? हे मेरे अग्ने! आत्मन् ! तू मुझसे ही छिपकर न जाने कहाँ जा बैठा है, किस गहन गुफा में जा छिपा है? जैसे, जब कोई चोर किसी के पशु को चुरा ले-जाता है और कहीं पहाड़ की गुफा में जा छिपता है तो पशुवाला अपने पशु को घर पर न पाकर ढूँढ मचाने लगता है, उसी तरह जबसे मुझे पता लगा है कि मेरे 'पशु'मेरी दर्शन-शक्ति-खो गई है तब से मैं हे आत्मन् ! तुझे ढूँढने लगा हूँ। तब से मैं जानने लगा हूँ कि मेरी वह दर्शनशक्ति तेरे ही साथ चली गई है और अब वह मुझे तुझसे ही मिल सकती है, अन्य कहीं से नहीं। पर हे आत्मन् ! मैं तुझे कहाँ ढूँढूँ? कैसे ढूँढूँ?


कहते हैं कि तू मेरे ही अन्दर मेरी 'हृदय की' कहानेवाली किसी गम्भीर गुफा में छिपा पड़ा है; कहते हैं कि तू वहाँ ही अपने अन्न को, नमस्कार को पाता है और उसे स्वीकार .' करता रहता है; पर फिर भी तू मुझे दर्शन नहीं देता, मिलता नहींजो धीर पुरुष होते ह, जा लगातार यत्न करते जानेवाले ज्ञानी पुरुष होते हैं तथा जो परस्पर मिलकर प्रीति और सवन करनेवाले कर्मशील होते हैं, वे तुझे पदों द्वारा, तेरे पदचिह्नों द्वारा खोजने में लग जाते व मन्त्रों के पदों से. तेरी प्राप्ति कराने के साधनरूपी अन्य नाना प्रकार के पदों सेपाछा करते हैं। संसार के दःख-दर्द, भय, पीड़ाओं से जो तेरा संकेत मिलता है उसे यान से देखते हैं और प्रतिदिन सुषुप्ति, संध्या, मृत्यु की घटनाओं में जो तेरे पदचिह्न कत हैं, इन्द्रियों में जो तेरे पदचिह्न पड़े हैं, सब ज्ञान में जो तेरे पदचिह्न हैं उनसे तेरागमन करते हैंइस प्रकार खोजते-खोजते अन्त में ये यजन के अभिलाषी तुझे पा लेते ९ आर ये यजनशील लोग मिलकर तेरी उपासना 'यजन' करने लगते हैं।


.क्या में भी कभी. हे मेरे आत्मन! तुझे पाकर, 'यजत्र' बनकर, तेरी उपासना में बैठ सकूँगा? 


शब्दार्थ-हे  अग्रे         पश्वा =  पश के, दर्शन-शक्ति के साथ        तायुं न =  चोर की तरह              नमो युजानम् =  अन्न व नमस्कार से युक्त हाते         नमो वहन्तम = उस अन्न व नमस्कार को धारण करते हए तझको           धीराः =  धयशाली ज्ञानी लोग      पदैः = पदचिहों प्राप्त साधनों द्वारा           अनुग्मन  = पीछा करते हैं, खोजते हैं, और खोजकर वे     विश्वे = सब         त्वा  = तुझे, तेरी         उपसीदन् = पासना करते हैं।


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