देव दयानन्द की दया


देव दयानन्द की दया


           प्रश्न- आपने अपने इस ग्रन्थ में कई स्थानों पर ऋषि दयानन्द के उपकारों का स्मरण किया है'देव दयानन्द की दया' इस विषय के थोड़ा स्पष्ट कीजिए।


            उत्तर- पवित्र वेद में जिन कर्त्तव्य कर्मों का विधान है, वह धर्म है वैदिक धर्म मनुष्य को एक सर्वांग सुन्दर और पूर्ण मनुष्य बनाता है। वह लोक और परलोक अभ्युदय और निःश्रेयस-दोनों को सिद्ध करता है। यह अर्थ और परमार्थ दोनों का विधान करता है।


          उपर्युक्त सर्वोत्तम धर्म आर्यवर्त में लुप्तप्राय हो गया था। हाँ देखो वहीं अवैदिक गाथायें गाई जाती थीं, अवैदिक कर्मकाण्ड का प्रचार था, और अवैदिक पूजा पाठ प्रचलित हो रहा थाआर्यों की धार्मिक और सामाजिक रीति-नीति में इतना भारी भेद दिखाई देता था कि भारत भूमि पर कभी वैदिक धर्म का प्रचार था, यह समझना भी कठिन हो गया था। उस युग में वैदिक आशावाद के आकाश में निराशा-निशा का पूर्ण राज्य था। ऐसी भयंकर परिस्थिति को बदलने के लिए ही महर्षि दयानन्द का आगमन हुआ था।


 


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