केशमुण्डन और केश-वपन
केशमुण्डन और केश-वपन
इस संस्कार के दो नाम हैं-केश-मुण्डन और केश-वपन। मुण्डन का अर्थ है केशों को साफ़ कर देना, मूंड देना; और केश-वपन का अर्थ है केशों को उगाना। एक ओर केशों का मूंडना है और दूसरी ओर केशों का उगाना है। दो जन्मों के मध्य पूर्व-जन्म से आए संस्कारों का मुण्डन और दूसरे जन्म में प्राप्त संस्कार-बीजों का वपन, उनका विस्तार, उनका फैलाव है। डुवपं बीज सन्ताने छेदने च' इस धातु से एक बात यह स्पष्ट है कि बीज-वपन अथवा बीज-सन्तान तब तक न करो जब तक पूर्व-उगे खरपतवार का मुण्डन न कर लो, उसकी सफ़ाई न कर लोसंस्कार के इन दोनों नामों में यही महत्त्वपूर्ण बात है कि किसी भी क्षेत्र में बीज उगाने से पहले उस क्षेत्र की सफ़ाई कर लेना आवश्यक है। अत: विद्या के क्षेत्र में कुमार ब्रह्मचारी का प्रथम मुण्डन होना, पश्चात् शिक्षा एवं विद्या-बीजों का वपन होना क्रम हैअतः दीक्ष धातु में सर्वप्रथम मण्डन का वर्णन है, पश्चात् जिन बीजों का वपन किया जाना है उनका वर्णन है जो क्रमश: इस प्रकार हैं१. इज्या, २. उपासना, ३. (यम)-नियम, ४. व्रत, ५. आदेश। ये पाँच प्रकार के बीज कुमार ब्रह्मचारी में पल्लवित, पुष्पित, फलित होंगे और वह स्नातकतरु बनकर सबको जहाँ छाया प्रदान करेगा वहाँ सबको सुगन्धित पुष्प एवं मधुर फल प्रदान करेगा। संक्षेप से इन पाँचों बीजों का वर्णन इस प्रकार है।