चैतवाद


चैतवाद


 


प्रश्न ।   त्रेतवाद से क्या अभिप्राय है?


उत्तर-   यह एक वैदिक विचारधारा है, जिस के अनुसार तीन तत्व ईश्वर, जीव और प्रकति को अनादि माना जाता है। इसी सिद्धांत को त्रैतवाद कहते है  | 


 


प्रश्न 2   अनादि किसे कहते हैं?


उत्तर-   जो तत्व हमेशा से चले आ रहे हैं और जिनका न आरम्भ है और न अन्त है और न ही कभी नष्ट होते हैं, उन्हीं को अनादि कहते हैं | 


 


प्रश्न 3   ईश्वर, जीव और प्रकृति में क्या अन्तर हैं?


उत्तर-   ईश्वर एक है|  उसका अस्तित्व सदा रहता है। वह चेतन और आनन्द-स्वरूप अर्थात् शारीरिक सुख:दुख से हमेशा परे है।


           जीवात्मा अनेक हैं। इनका अस्तित्व सदा रहता है। जीवात्मा चेतन है परन्तु आनन्द स्वरूप नहीं। यह कर्मों के अनुसार सुख:दुख को भोगता है। यह ईश्वर को प्राप्त करके आनन्द को प्राप्त करता है।


           प्रकृति जड़ है। इसका भी अस्तित्व सदा रहता है परन्तु यह न चेतन है और न इसमें आनन्द होता है। 


 


प्रश्न 4   प्रकृति किस काम आती है?


उत्तर-   प्रकृति जगत् बनाने का उपादान कारण (सामग्री) है। यह स्वयं न घटती है, न बढ़ती है। हाँ, इसका रूप बदलता रहता है| 


 


प्रश्न 5   ईश्वर के अपने कार्य कौन से है?


उत्तर-   ईश्वर के चार कार्य मख्य कार्य हैं- सष्टि को बनाना, पालन पोषण करना और समय आने पर फलों में संहार करना तथा जीवों को कर्मानुसार फल देना |


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