ब्रह्मयज्ञ परिचय


ब्रह्मयज्ञ परिचय


इनमें प्रथम ब्रह्मयज्ञ कहाता है। इसके दो अंग हैं-(१) स्वाध्याय और (२) सन्ध्योपासना या योगाभ्यास। स्वाध्याय-जिसमें अंगों के सहित ऋग्, यजु, साम, अथर्व वेदादि शास्त्रों का तथा अन्य ऋषि प्रणीत ग्रन्थों का पढ़ना-पढ़ाना होता है, वह स्वाध्यायकहाता है तथा सन्ध्योपासना अर्थात् प्रातः सायं ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना-उपासना सब मनुष्यों को करनी ही चाहिए (महर्षि कृत ऋ0 भा0 भू0)


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