भर्चा और भार्या
भर्चा और भार्या
पाणिग्रहण के तीसरे मन्त्र में पति ने अपने को भर्त्ता रुप में प्रस्तुत किया है। पत्नी को वह पोष्या या भार्या मान कर उसके पालन-पोषण का दायित्व लेता है। आज तो पत्नी नौकरी करती है और पति महोदय घर में बच्चों की सँभाल रखते हैं, यह उलटा क्रम है। भला इसका भला परिणाम क्यों कर हो सकता है ? ठीक ही कहा गया है-
जिसका काम उसी को साजे।
और करे तो डण्डा बाजे॥