भाई-बहिन प्रेम


भाई-बहिन प्रेम


           भाई-बहिन का प्यार तो भाई-भाई के प्यार से भी अधिक निर्मल, अधिक पवित्र अधिक नि:स्वार्थ और अधिक गम्भीर है। विवाह संस्कार की लाजा होम विधि में भाई-बहिन के इसी सात्विक प्रेम का निदर्शन है। रक्षा बन्धन के पवित्र सूत्रों और भैया दूज आदि के पवित्र त्यौहारों में इसी भाई-बहिन के पवित्र प्रेम की स्वर लहरी झंकृत होती है।


          वेद माता का पवित्र सन्देश है-


मा भ्राता भ्रातरं द्विक्षन् स्वसार मुत स्वसा


         अर्थात् भाई-भाई, बहिन-बहिन तथा भाई-बहिन परस्पर द्वेष न करें। कैसा घोर दुर्भाग्य है कि आज ऐसे कानून निर्मित हो रहे हैं, ऐसी परिस्थितियाँ निर्मित की जा रही हैं जिनमें भाई-भाई तो दूर भाई-बहिन भी एक दूसरे के विरुद्ध अदालतों में खड़े दिखाई दे रहे हैं। वैदिक स्वर्ग लाने के लिये इस स्थिति को बदलना ही होगा।


 


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