भद्र प्रार्थना


भद्र प्रार्थना


ओ३म् भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।


स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः॥


                                                                                                      -यजुः०


        हे यज्ञ करने वाले परमेश्वर के भक्त विद्वानो! हम सदैव कल्याणकारी शब्द ही कानों से सुनें, कल्याणकारी दृश्य ही आंखों से देखें और अपने दृढ़ अंगों के द्वारा शरीर से यावज्जीवन वही कर्म करें, जिससे विद्वानों का हित हो। 


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