भारत वीर सपूत उधमसिंह
भारत वीर सपूत उधमसिंह
सच्ची गाथा सुनो ध्यान से, भारत के सब नर नारी।
भारतवीर सपूत बहादुर, उधमसिंह था बल धारी।।
फूट आपसी के कारण, यह भारत था परतंत्र सनो
राम कृष्ण के पुत्र-पुत्रियाँ भूल गए थे मंत्र सुनो।
फूट डालकर भारत में, अंग्रेज जुल्म नित करते थे।
आतंक बहुत था दुष्टों का, भारतवासी तब डरते थे।।
इस भारत में लाखों गउएं, रोजाना जाती थीं मारी।
भारतवीर सपूत बहादुर, उधमसिंह था बल धारी।।
जलियांवाला बाग एक था, सुनो शहर अमृतसर में
जिसका सोने का मंदिर, अब नामी है दुनिया भर में।
जलियां वाले बाग में इक, भारतियों ने सभा बुलाई थी
बालक, तरुण, वृद्धजन जिसमें, बहुत देवियाँ आई थीं।
सुनकर के यह समाचार, विस्मित थी तब दुनिया सारी
भारतवीर सपूत बहादुर, उधमसिंह था बल धारी।।
दिलेर सिंह के सुत नरबंका, उधमसिंह ने जान लिया
डायर दुश्मन है भारत का, ठीक तरह पहचान लिया।।
चाणक्य-चन्द्रगुप्त को था, आदर्श वीर ने मान लिया।
मारूँगा डायर पापी को, उसने दिल में ठान लिया।
पहुँच गया लंदन में योद्धा, भारत माता थी प्यारी
भारतवीर सपूत बहादुर, उधमसिंह था बल धारी।।
भरी सभा में डायर ने, भारत वीरों की निंदा की।
गरजा महावीर उधमसिंह, फौरन गोली मारी थी।
बदला लिया दुष्ट पापी से, खुश हो फांसी खाई थी।
'नन्द लाल' उधमसिंह ने, भारत की शान बढ़ाई थी।।
बनो जवानो उधमसिंह से, देश भक्त योद्धा भारी
भारतवीर सपूत बहादुर, उधमसिंह था बल धारी।।
• पं. नन्दलाल 'निर्भय' भजनोपदेशक
ग्राम बहीन, जनपद पलवल (हरियाणा)