बन्नी का कर्तव्य ( गीत )

 


 बन्नी का कर्तव्य ( गीत )


उठो बन्नी करो सेवा यही कर्त्तव्य तेरा है।


बनाओ स्वर्ग घर अपना यही कर्त्तव्य तेरा है।


पहुँचाओ सुख सभी को तुम, न पहुँचे दुःख किसी को भी।


कभी कटु वाक्य मत कहना, यही कर्त्तव्य तेरा है।।१


वो देगी सास भी ताने, वो देगी ननद भी ताने।


कभी भी जबाब मत देना यही कर्त्तव्य तेरा है।।२


सभी से मिल के रहना तुम, नहीं झगड़ा मचाना तुम,


उठाना प्रेम का बीड़ा यही कर्त्तव्य तेरा है।।३


तेरा कर्त्तव्य ए वरनी, करो चितलाय पति-सेवा।


पति का जीत लेना मन, यही कर्त्तव्य तेरा है।।४


यही है वेद की आज्ञा, न मोड़ो धर्म से मुखड़ा। 


बनो आदर्श नारी तुम, यही कर्त्तव्य तेरा है।।५


किसी को वश में करने का, न कोई मन्त्र टोना है।


सेवा से जीत लेना मन, यही कर्तव्य तेरा है।।६


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