बंगाल की क्रान्तिकारिणी महिलाएँ

बंगाल की क्रान्तिकारिणी महिलाएँ


      श्रीमती लीलावती नाग,एम० ए०- यह पेंशनयाफ्ता डिष्टी मजिस्ट्रेट रायबहादुर गिरीशचन्द्र नाग की लड़की थी। अंग्रेजी साहित्य में एम०ए० थी। छात्र जीवन में हरेक परीक्षा को इन्होंने नामवरी से पास किया था |


      लीलावती ने ही ढाका की कमरुन्निसा बालिका विद्यालय की स्थापना की थी। पहले दो साल तक वह उसकी अवैतनिक प्रधानाध्यापिका रही। उस समय इसका नाम दीपावली विद्यालय थाइसी युग में इन्होंने दिवाली संघ नाम से एक नारी संस्था की स्थापना की, जिसका उद्देश्य नारियों की सब प्रकार की उन्नति करना था। बहुत सी बाधाएँ उनके रास्ते में आई, किन्तु उन्होंने सब बाधाओं पर विजय प्राप्त की। गाँव गाँव यमकर इन्होंने लड़कियों के विद्यालय भी स्थापित किए |


      दीवाली विद्यालय से सम्बन्ध टूट जाने पर उन्होंने नारी शिक्षा मन्दिर नाम से लड़कियों का एक हाई स्कूल स्थापित किया। उसी के साथ बोर्डिंग की भी स्थापना की। इसमें गरीब लड़कियों के लिए पढ़ने तथा काम सीखने की व्यवस्था थी, इसी युग में इन्होंने जय श्री नाम की एक विख्यात मासिक पत्रिका निकाली। १९३१ के २० दिसम्बर को क्रिमिनल ला अमेंडमेण्ट एक्ट के अनुसार गिरफ्तारी हुई, १९३८ में यह छोड़ी गई।


      श्रीमती रेणुका सेन, एम०ए०- रेणुका सेन अर्थ शास्त्र में एम० ए० थी। लीलावती ने जब पहले पहले बालिका विद्यालय की स्थापना की तब वहीं छात्रा थी। बी०ए० पास करने के बाद वह पढ़ने के लिए कलकत्ता गई और वहीं एम०ए० पास किया। १९३० के सितम्बर में यह पहले-पहल डलहौजी स्क्वायर बम कांड के सम्बन्ध में पकड़ी गई। एक महीने तक लाल बाजार लोकअप में तथा प्रेसिडेन्सी जेल में रहने के बाद यह छूट गई। इस कारण वेथून कालेज से निकाली गई। १९३० के २० दिसम्बर को यह लीला नाग के साथ पकड़ी गई और १९३१ में छोड़ी गई।


      श्रीमती लाल कमाल, बी०ए०-आशुतोष कालेज में बी०ए० में पढ़ते समय यह ग्रिण्डले बैंक को धोखा देने के शक में गिरफ्तार हुई, किन्तु छुट गईयह महाराष्ट्र की रहने वाली थी |


      श्रीमती इन्दुमती सिंह- इन्दुमती चटगाँव के गोपाललाल सिंह की लड़की थी। १९३४ के १४ दिसम्बर को गिरफ्तार हुई, छह साल जेल में रहने के बाद छूटी |


      श्रीमती अमिता सेन-१९३४ के अगस्त में यह बंगाल आर्डीनेन्स में पकड़ी गई। १९३६ में जेल से निकालकर श्रीमती नलिनीसेन गुप्ता के मकान पर नजरबन्द कर दी गई। फिर यह हिजली भेज दी गई। १९३८ में छूटी।


      श्रीमती कल्याणीदेवी एम०ए०-१९३१ के सत्याग्रह आन्दोलन के सम्बन्ध में ८ महीने तक जेल में रही। फिर पकड़ी गई और फिर छोड़ी गई। १९३१ में उनके बालीगंज वाले मकान से एक तमंचा मिला। अतः वह अपने होस्टल में गिरफ्तार कर ली गई, किन्तु सबूत न मिलने पर छूट गई। तुरन्त बंगाल आर्डीनेन्स में पकड़ी गई। प्रेसिडेन्सी हिजली तथा अन्य जेलों में वर्षों रहने के बाद छूटीं।


श्रीमती कमला चटर्जी बी०ए०-कालेज की छात्रा अवस्था में १९३१ में बंगाल आर्डिनेन्स में गिरफ्तार हुई, १९३७ के अन्त में छूटी। आपकी लिखने की शक्ति अच्छी थी।


      बाईस अन्य क्रान्तिकारिणियाँ-इनके अतिरिक्त ये महिलाएँ भी आर्डिनेन्स में थी-


      १. सुशीलादास गुप्ता-५ साल जेल में रही


      २. लावण्यप्रभा दास गुप्ता-५ साल जेल में रही।


      ३. कमलादास गुप्ता बी०ए०-वीणादास के साथ पकड़ी गई, किन्तु छोड़ दी गई और फिर आर्डिनेन्स में ले ली गई।


      ४. सुरमादास गुप्ता बी०ए०-डेढ साल जेल में रही


     ५. उषा मुकर्जी-तीन साल जेल में रही।


     ६. सुनीतिदेवी-दो साल जेल में रही।


     ७. प्रतिभा भद्र बी०ए- पाँच साल जेल में रही


     ८. सरयू चौधरी-टीटागढ मामले में पकड़ी गई। फिर आर्डिनेन्स में चार साल जेल में रही। 


     ९. इन्द्रसुधा घोष-चार साल जेल में रही। 


     १०. श्रीमती प्रफुल्लनलिनी ब्रह्मा-टिहरी मजिस्ट्रेट मि० स्टीवेन्स की हत्या के अपराध में गिरफ्तार हुई, किन्तु मुकदमा न चला, फिर आर्डिनेन्स में ले ली गई। १९३० में जेल में मर गई। 


      ११. श्रीमती हेलना बाल बी०ए०-यह अपने मामा श्री प्रफुल्ल कमार दत्त तथा सुपतिराय चौधरी के साथ गिरफ्तार हुई, फिर कई साल जेल में रही।


     १२. श्रीमती आशादास गुप्ता-५ साल जेल में रही१३. श्रीमती अरुणा सान्याल-५ साल जेल में रही।


     १४ श्रीमती सुषमादास गुप्ता-कई साल तक घर में नजरबन्द रही।


     १५ प्रमिला गुप्ता बी०ए०-वीणादास के साथ पकड़ी गई थीकई साल नजर बन्द रही।


     १६. सुप्रभा भद्र-प्रतिभा भद्र की छोटी बहिन नजरबन्द रही।


     १७. शान्तिकणा सेन-दो साल जेल में रही।


     १८. शान्तिसुधा घोष एम०ए०-१९३३ के ग्रिण्डले बैंक के सिलसिले में गिरफ्तार रही। फिर चार साल तक नजरबन्द रही। गिरफ्तारी के समय वह विक्टोरिया कॉलेज की प्राध्यापिका थी।


     १९. विमलाप्रतिभा देवी-१९३३ में २० जून को देशबन्धु दिवस. पर जलूस का नेतृत्व करती हुई गिरफ्तार हुई, फिर आर्डिनेन्स में ली गई। यह १९३७ में छूटी।


     २०. ममता मुकर्जी-कुमिल्ला में नजरबन्द रही।


     २१. हास्यबाला देवी-वरसान में अपने घर पर नजरबन्द रही।


      २२. सरोज नाग-टीटागढ़ अस्त्र वाले मामले में पकड़ी गई। फिर छटी तो नजरबन्द कर दी गई। स्वर्गीय सरदार पटेल के अनुसार ये सभी कांग्रेस की नीति के कारण भारत के कलंक हैं?


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