बंची अय्यर

मद्रास प्रान्त के प्रमुख क्रान्तिकारी


बंची अय्यर


      उन दिनों वर्तमान तमिलनाडु प्रान्त का नाम मद्रास प्रान्त था और वर्तमान चेन्नई नगर का भी नाम मद्रास। बंची अय्यर का जन्म मद्रास के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके माता-पिता धार्मिक विचारों के साथ-साथ देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे। देशभक्ति की भावना बंची अय्यर को अपने माता-पिता से प्राप्त हुई। इन्हें तमिल, अंग्रेजी और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान था।


      बंची अय्यर जब युवा थे तब उस समय के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी नेता विपिनचंद्र पाल ने मद्रास का दौरा किया। पाल एक ओजस्वी वक्ता थे और उस समय पूरे भारत में उनका नाम था। विपिनचन्द्र पाल ने अंग्रेजी शासन और उसकी कूटनीति के विरुद्ध अनेक स्थानों पर भाषण दिये। उनके भाषणों का युवकों पर अनुकूल प्रभाव पड़ा और मद्रास में युवकों के क्रान्तिकारी दल उठ खड़े हुए। उन युवकों में बंची अय्यर, चिदम्बरम् पिल्लै, सुब्रह्मण्यम् शिव, नीलकण्ठ ब्रह्मचारी, शंकर अय्यर के नाम उल्लेखनीय हैं। बंची इंग्लैंड में श्याम जी कृष्ण वर्मा के साथ रहे थे उससे उनकी क्रान्ति की भावना और बढ़ गयी। उनका सावरकर आदि क्रान्तिकारियों से भी निकट का सम्बन्ध बन गया था। अय्यर का सम्बन्ध फ्रांसीसी सरकार से भी था। वे क्रान्तिकारियों को कहा करते थे कि आवश्यकता पड़ने पर उन्हें पांडिचेरी से हथियार उपलब्ध हो जायेंगेउस समय पांडिचेरी पर फ्रांसीसियों का शासन था। बंची अय्यर ने पांडिचेरी में रहकर ही हथियार चलाने का अभ्यास किया था।


      इन क्रान्तिकारियों का विश्वास था कि अंग्रेजों को मारे बिना वे देश को छोड़कर जाने वाले नहीं हैं। इस विश्वास के आधार पर इन्होंने अधिक से अधिक अंग्रेजों का वध करने की योजना बनाई थी। क्रान्ति सम्बन्धी गतिविधियों के सन्देह में सुब्रह्मण्यम् शिव और चिदम्बरम् पिल्लै पकड़े गये। पिल्लै की गिरफ्तारी से बंची को बहुत दुःख हुआ। उसने गिरफ्तारी के बाद एक पर्चा वितरित किया जिसमें अंग्रेजी सरकार को कटु शब्दों में कोसा गया था। बंची अय्यर ने लिखा था -


      "अरे फिरंगी ! बेरहम बाघ ! तुमने एक साथ तीन भलेमानस भारतीयों को बिना किसी उचित कारण के ग्रस लिया। तुमने अपना भंडाफोड़ कर दिया है, क्योंकि तुम यह मान चुके हो कि भारत में स्वाधीनता की हवा पैदा होते ही तुम्हारी जड़ हिल चुकी है।"


      देश की आजादी के लिए आक्रान्ता अंग्रेजों का वध करना वे एक पवित्र कार्य मानते थे। बंची ने अपने इस पवित्र कार्य का आरम्भ मजिस्ट्रेट ऐश की हत्या से किया। १७ जून १९२२ को तिरुवेल्ली के जिला मजिस्ट्रेट को एक स्टेशन पर मारकर दूसरे लोक पहुंचा दिया। घटना के समय शंकर कृष्ण अय्यर भी उपस्थित थे। बंची अय्यर मौके पर ही पकड़ा गया। उसकी जेब से तमिल में लिखा एक पर्चा मिला जिसमें लोगों को क्रान्ति के लिए प्रेरित करते हुए जोशीले शब्दों में लिखा था -


      'प्रत्येक भारतीय स्वराज्य और सनातन धर्म को सुरक्षित रखने के लिए अंग्रेजों को भारत से निकालने पर कटिबद्ध है। जिस देश पर राम, कृष्ण, अर्जुन, शिवाजी और गुरु गोविन्द सिंह जैसों का राज्य था, उसी पर गोमांस भक्षी जार्ज पंचम का राज्य है, यह कितनी बड़ी लज्जा की बात हैअब तीन हजार मद्रासी युवक प्रतिज्ञा कर चुके हैं कि वे पंचम जार्ज का विनाश करके दम लेंगे।


      ऐसे उत्साही युवक की, उस दिन कहानी ही शेष रह गई,जब उसे फांसी पर लटका दिया। बंची की मृत्यु से मद्रास में क्रान्ति की गति धीमी पड़ गयी।


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