अतिथि यज्ञ का फल
अतिथि यज्ञ का फल
उत्तम अतिथि (विद्वानों सत्योपदेशक जनों)... के सब देशों (व स्थानों) में घूमने और (मनुष्य को) सत्योपदेश करने से पाखण्ड की वृद्धि नहीं होती और मनुष्य मात्र में एक ही धर्म स्थिर रहता है। बिना ऐसे अतिथियों के (समागम के सामान्यप्रजा के मनों की) सन्देह निवृत्ति (सशय निवारण) नहीं होती। सन्देह निवत्ति के बिना (सत्य में) दृढ़ निश्चय भी नहीं होता। (सत्य में दृढ़) निश्चय के बिना मनुष्य को सुख (शान्ति) कहाँ ?-सत्यार्थ प्रकाश सम०४|