अहिंसा सिद्धि
अहिंसा सिद्धि (महर्षि दयानन्द सरस्वती )
एक दिन स्वामीजी गंगा में लेटे पड़े थे। एक बड़ा भारी मगर उनके प्रति निकट मानिकला। भक्त प्यारेलालजी स्वामीजी को संकट के समीप देख भागते हए पाये और पुकारने लगे--- "स्वामीजी ! झटपट पानी से बाहर निकल आइएएक बडा भारी मगर निकल पाया है।" महाराज यह सुनकर भी गम्भीरता ज्यों के त्यों पड़े रहे और बोले-"जब हम इसे कुछ नहीं कहते तो यह भी हमें कुछ न कहेगा।"