अग्नि होत्र से लाभ
अग्नि होत्र से लाभ
(९) सुगन्धित, पौष्टिक, मिष्ट, और रोग नाशक औषधियों के होम करने से पवन और वर्षा-जल की शुद्धि होती है। शुद्ध पवन और शुद्ध जल के योग से पृथिवी के सब पदार्थों की अत्यन्त उत्तमता (उपयोगिता बढ़ जाती है)उससे सब जीवों को परम सुख होता है। इस कारण इस अग्निहोत्र करने से अत्यन्त सुख का लाभ होता है तथा ईश्वर भी उन मनुष्यों पर प्रसन्न होता है। (पं0 म0 वि एवं ऋ0 वे0 भा0 भू0 वेद विषय)
(२) प्रतिदिन सांय प्रातः अग्निहोत्र करने से जलवायु की शुद्धि अर्थात् चतुर्दिक वायुमण्डल की निर्मलता होती है। इससे अपना और आस-पास रहने वालों का स्वास्थ्य बढ़ता है।
(३) पवित्र वेद मन्त्रों के पाठ से परम धर्म का पालन होता है। मन्त्रों में निर्दिष्ट शिक्षा के आचरण में लाने से ऐहिक और पारलौकिक सुख मिलता है।
(४) देवयज्ञ का एक अन्य रुप नित्य आसन-प्राणायाम द्वारा अपने देवों अर्थात् चक्षु श्रोत्र आदि इन्द्रियों की शक्ति बढ़ाना भी होता है। इससे मनुष्य का अपना आरोग्य बढ़ता हैइस प्रकार इससे मनुष्य की 'बाह्य शुद्धि' अर्थात् इन्द्रियों की शक्ति बढ़ना और सब अंगों को पुष्टता होती है। इससे दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है।