आश्रम धर्म
आश्रम धर्म
यह मनुष्य के सम्पूर्ण सफल जीवन की शतवर्षीय योजना हैकिस प्रकार एक मनुष्य, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम की परिपालना द्वारा अपने निजी जीवन को सब प्रकार से समुन्नत बनाता हुआ अपने परिवार, समाज-राष्ट्र और प्राणि-मात्र की हित साधना करता हुआ अन्ततः इसी कर्त्तव्य (धर्म) सम्पादन द्वारा प्रियतम प्रभु की शान्तिदायिनी गोद को पा सकता है- यह इस योजना का लक्ष्य है।