आर्यों का प्राचीन संवत्

आर्यों का प्राचीन संवत्


       काश्मीर से कन्याकुमारी या कटक से अटक तक आज भी मनुष्यों या पुरोहित-पण्डा-पुजारी के जिह्वा पर 'संवत्' के सङ्कल्प में अमर वाक्य शुभकार्य या लग्न-मुहूर्त में ऊँचे स्वर से उच्चारण किया जाता है, वह यह है-


      ओ३म् तत्सत् श्री ब्राह्मणो द्वितीय प्रहराद्धे वैवस्वत मन्वंतरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगेकलिप्रथमचरणेऽमुक संवत्सरे...अयने-ऋतौ-मासे-पक्षे-तिथौ-दिवसे-नक्षत्रे-लग्नेमुहूर्ते जम्बूद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तेक देशान्तर्गते प्रान्ते जनपदे नगरे स्थाने अहं श्रेष्ठतमं यज्ञकर्मकरणाय भवन्तं वृणे।


        हम आर्यों के वैदिक संवत् का उल्लेख करते हैं। उससे मनुष्योत्पत्ति-काल निश्चित होता है। आर्यों का वैदिक संवत् हिन्दुओं, पारसियों, स्कंदनेवियनों और बेबिलोनियावालों में एक समान ही पाया जाता है और हिन्दुओं के दैनिक सङ्कल्प में रोज पढ़ा जाता है।


        सङ्कल्प का सारांश इस प्रकार है-'द्वितीय प्रहरा? वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलौयुगे ५०९६ गताब्दे' अर्थात् यह वैवस्वत् मनु का अट्ठाइसवाँ कलि है, जिसके ५०९६ वर्ष बीत चुके हैं। ब्रह्मा के एक दिन को कल्प अथवा सृष्टि-समय कहते हैं। यह कल्प १४ मन्वन्तरों अथवा एक सहस्र चतुर्युगियों का होता है। अब तक छह मन्वन्तर बीत चुके हैं। एक मन्वन्तर ७१ चतुर्युगियों का होता है। वैवस्वत मनु की २७ चतुर्युगी बीत चुकी हैंअट्ठाइसवीं चतुर्युगी में भी (कृत, त्रेता और द्वापर) तीन युग बीत चुके हैं। चौथे कलि के भी ५०९६ वर्ष बीत चुके हैं। गणित करके देखा गया है कि इस गणना के अनुसार सृष्टि उत्पत्ति को अब तक १९६०८५३०९६ वर्ष बीत चुके हैं। पाठकों के लाभार्थ यहाँ हम पं० लेखरामजी द्वारा लिखित संसार के थोड़े से संवतों को नीचे लिखते हैं-


वैवस्वत मनु से आर्यसंवत्                                                                       १२०५३३०३०


चीन के प्रथम राजा से चीनी संवत्                                                             ९६००२४२९


खता के प्रथम पुरुष से खताई संवत्                                                           ८८८४०३०१


पृथिवी-उत्पत्ति का चाल्डियन् संवत्                                                             २१५०००००


ज्योतिष-विषयक चाल्डियन संवत्                                                                  ४७००००


ईरान के प्रथम राजा से ईरानियन संवत्                                                           १८९९०८


आर्यों के फिनीशिया जाने के समय फिनिशियन संवत्                                          ३००००


इजिप्ट जाने के समय से इजिप्शियन संवत्                                                         २८५८२


किसी विशेष घटना से इबरानियन संवत्                                                             ५९४२


कलि के आरम्भ से कलियुगी संवत्                                                                     ५०३०


युधिष्ठिर के प्रथम राज्यारोहण से युधिष्ठिरीय संवत्                                                 ४०८५


मूसा के धर्म प्रचार से मूसाई संवत्                                                                     ३४९६


ईसा के जन्मदिन से आजतक ईसाई संवत्                                                           १९९६


        इस प्रकार से संसार के इन संवतों को देखने से हमारा निकाला हुआ सृष्टि या मनुष्योत्पत्ति का समय बहुत अच्छी तरह से मिल जाता है। 


 


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