आर्य देवी का संकल्प (गीत)
आर्य देवी का संकल्प (गीत)
मैं तो प्रभु मिलन के काज आज कुछ यतन बनाऊँगी
छोड़ सभी शृंगार सादगी को अपनाऊँगी।
वेद शास्त्र सद् ग्रन्थन द्वारा ज्ञान बढ़ाऊँगी।।
मुक्ति हेतु मैं कभी न गंगा-यमुना जाऊँगी।
घर में बैठ पती अपने ये ध्यान लगाऊँगी।।
प्रतिमा के ऊपर जाकर ना भोग चढ़ाऊँगी।
निराकार और निर्विक रसे ध्यान लगाऊँगी।।
गाकर सुन्दर गीत देश की शान बढ़ाऊँगी।
दुर्गा सीता किरणमती सा नाम कमाऊँगी।।
बुरे कर्म में इस जीवन को नहीं फसाऊँगी।
शुभ कर्मों की ज्ञान गंग में रोज नहाऊँगी।।
जन्म मरण से छूट अमर मैं तो हो जाऊँगी।
'चन्दा' को ऐसे ही निशदिन गीत सुनाऊँगी।।