स्वर्ण शताब्दी काशी शास्त्रार्थ वाराणसी में ऐतिहासिक महासम्मेलन सम्पन्न


स्वर्ण शताब्दी शास्त्रार्थ महासम्मेलन का ऐतिहासिक आयोजन |
जी हां , दिनांक 11,12,13 अक्टूबर 2019 को रामनाथ चौधरी शोध संस्थान वाराणसी में काशी शास्त्रार्थ के 150 वर्ष पूरे होने पर स्वर्ण शताब्दी शास्त्रार्थ महासम्मेलन का भव्य आयोजन संपन्न हुआ | वस्तुतः आज से 150 वर्ष पूर्व अक्टूबर 1869 में महर्षि दयानंद सरस्वती ने दुर्गाकुंड स्थित आनंद बाग में मूर्ति पूजा वेद विरुद्ध है विषय पर सनातनी विद्वान स्वामी विशुद्धानंद और बाल शास्त्री आदि से शास्त्रार्थ किया था | यह शास्त्रार्थ ऐतिहासिक और युगान्तकारी था |मूर्तिपूजा के गढ़ में मूर्तिपूजा पर शास्त्रार्थ  कर सनातनियों की बोलती बंद करवाने का काम स्वामी दयानंद ने किया था | कार्यक्रम का उद्घाटन गुजरात के राज्यपाल महामहिम श्री देवव्रत जी तथा सिक्किम के राज्यपाल महामहिम गंगा प्रसाद जी ने किया |इस कार्यक्रम में पद्मभूषण धर्मपाल गुलाटी , स्वामी देवव्रत जी ,स्वामी धर्मेश्वरानंद जी एवं आर्य जगत् के प्रकांड विद्वान और भजनोपदेशक विद्यमान थे तथा हजारों की संख्या में देश भर से आर्य समाज और आर्य वीर दल के कार्यकर्ता भी शामिल हुए | 13 अक्टूबर को पूर्वान्ह 11:00 बजे विशाल शोभायात्रा रामनाथ चौधरी शोध संस्थान से प्रारंभ होकर काशी हिंदू विश्वविद्यालय ,लंका  दुर्गाकुंड , गुरुधाम चौराहा आचार्य रामचंद्र शुक्ल चौराहा , और रविंद्र पुरी एक्सटेंशन होते हुए महर्षि दयानंद काशी शास्त्रार्थ स्थल , दुर्गाकुंड आकर 
 आनंद बाग में विशाल जनसभा में परिवर्तित हो गया | पुनः मुख्य कार्यक्रम स्थल  रामनाथ चौधरी शोध संस्थान  सभागार में सायंकालीन संध्या के साथ रात्रिकालीन  समापन सत्र का कार्यक्रम संपन्न हुआ | रात्रि कालीन समापन सत्र में भी हजारों की संख्या में आर्य समाज और आर्य वीर दल के कार्यकर्ता सभा स्थल पर विद्यमान रहे | इस प्रकार स्वर्ण शताब्दी शास्त्रार्थ महासम्मेलन  एक प्रेरणाप्रद , ऐतिहासिक कार्यक्रम सिद्ध हुआ जिसमें उपस्थित जनसमुदाय ने महर्षि दयानंद के सिद्धांतों पर चलकर देश और समाज को समृद्ध  और अंधविश्वास मुक्त बनाने का संकल्प लिया |


 


 


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