वेद और गणपति

🔥 ओ३म्  🔥


*सनातन वैदिक धर्म* में निराकार और सर्वव्यापक परमात्मा के अनेक गुणवाचक नामों में से एक नाम *गणेश(गणपति)* भी है।


  *ऋषि* - प्रजापतिः *देवता*-गणपतिः, *छन्द*- शक्वरी जगती, *गायन स्वर*- निषादः 
 
*ग॒णानां॑ त्वा ग॒णप॑तिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे निधिनां त्वा निधिपतिं हवामहे। वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम्॥*
 - _यजुर्वेद अध्याय-23, मन्त्र-19_


*पदार्थ:* (ग॒णानां॑) समूहों के बीच, (ग॒णप॑तिं) समूहपालक, (त्वा) आपको, (हवामहे) स्वीकार करते हैं, (प्रियाणां) अतिप्रिय सुन्दरों के बीच, (प्रियपतिं) अतिप्रिय सुन्दरों के पालक, (त्वा) आपकी, (हवामहे) प्रशंसा करते हैं, (निधिनां) विद्या आदि पदार्थों की पुष्टि करने वालों के बीच, (निधिपतिं) विद्या आदि पदार्थों के रक्षक, (त्वा) आपको (हवामहे) स्वीकार करते हैं, (वसो) आपमें सब प्राणी वसते हैं, अतः आप (मम) मेरे हो जाईये। (गर्भधमा) जिस जगत को गर्भ के समान धारण करने वाले (त्वम्) आप *(अजासि) जन्म से रहित हैं,* उस (गर्भधम्) प्रकृति के धारणकर्त्ता आपको, (अहम्) मैं ,(आ) अच्छे प्रकार से  (अजानि) जानूँ।


 


*आर्य विचार*
वेद के जिस मंत्र में ईश्वर का नाम गणपति बताया है, उसी मे उसे अजन्मा भी बताया है।आदरणीय सज्जनों हम पूरी विनम्रता पूर्वक प्रश्न करते है की क्या पुराणों मे जन्म लेने वाला गणपति क्या वही वेद वाला अजन्मा गणपति है?
निःसंदेह नहीं। अतः आप जिस की पूजा कर रहे है वो वेद मे बताया ईश्वर नहीं। 


पुराणों और वेद के ऐसे ही विरोधाभास के बीच हमने वेद को सत्य और पुराणो को काल्पनिक माना है । आपको किसको मानते है किसे नहीं , यह निर्णय आप करे!!! 


*आओ मिलकर चले वेदो की ओर*



  1.  


Popular posts from this blog

ब्रह्मचर्य और दिनचर्या

वैदिक धर्म की विशेषताएं 

अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता ।