वा बदलती देखो कैसे

विषय :-  हवा बदलती देखो कैसे 
विधा :- कविता 
            
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हवा बदलती देखो कैसे ।
लहर भंवर में फंसती जैसे ।।
वो सिमटी थी खुद अपने में ।
देख भयानक  सपना जैसे ।।
डरी सहमी वो अकुलायी सी ।
काँप रही थी थर-थर जैसे  ।।
सोच रही थी मन ही मन में ।
मुँह से कोई शब्द ना निकले ।।
कैसे जान बचाऊँ अपनी ।
इस विपदा से कैसे निकले ।।
देख भंवर में फंसता खुद को ।
जोर -जोर से वो चिल्लायी ।।
माँ ने आकर उसे जगाया ।
देखा माँ को वो सकुचायी ।।
देखी खुद को जब वो घर में ।
जान में उसके जान है आयी  ।।



  1.        हरीश बिष्ट 
    रानीखेत ।। उत्तराखण्ड ।।


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