महर्षि वाल्मीकि का आदर्श जीवन परिचय

             आपको पता होगा कि रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि जी हैयह एक ऐसा ग्रन्थ है जिसने मर्यादा, सत्य, प्रेम भातृत्व, मित्रत्व एवम् सेवक धर्म का परिभाषा सिखाई। वाल्मीकी जी के जीवन से बहुत सीखने को मिलता है उनका व्यक्तित्व असाधारण था। उन्होंने अपने जीवन की एक घटना से प्रेरित होकर अपना जीवन पथ बदल लियाजिसके फलस्वरूप वे महान पूज्यनीय कवियों में से एक बने ।


             वाल्मीकि के जीवन से जुड़ी प्रेरणादायक घटनाः- महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था और उनका पालन-पोषण जंगल में रहने वाली भील जाति में हुआ था जिस कारण उन्होंने भीलों की परम्परा को अपनाया। आजीविका के लिए वे राहगीरों को लूटते थे, एवम् जरूरत होने पर मार भी देते थे, इस प्रकार वे दिन प्रतिदिन अपने पापों का घड़ा भर रहे थे। निकल रहे थे ।


             एक दिन उनके जंगल से नारद मुनि निकल रहे थे उन्हें देख रत्नाकर ने उन्हें बन्दी बना लिया। नारद मुनि ने उनसे सवाल किया कि तुम ऐसे पाप क्यूं कर रहे हो? रत्नाकर ने जवाब दिया परिवार के जीवन यापन के लिए तब नारद मनि ने पछा जिस परिवार के लिए तम से पाप कर रहे हो, क्या वह परिवार तुम्हारे पापों के फल का वाहन करेगा? इस पर रत्नाकर ने जोश के साथ कहा हाँ, बिल्कुल करेगामेरा परिवार सदैव मेरे साथ खड़ा रहेगा। नारद मुनि ने कहा एक बार उनसे पूछ लो, अगर वे हाँ कहेगें तो मैं अपना सारा धन दे दूंगा। रत्नाकर ने अपने सभी परिवार जनों एवं मित्रों से पूछा, लेकिन किसी ने इस बात की हामी नहीं भरी। इस बात का रत्नाकर पर गहरा आघात पहुँचा और उन्होंने दुराचरण के उस मार्ग को छोड़कर तप के मार्ग को चुना एवम् कई वर्षों तक ध्यान एवं तपस्या की जिसके फलस्वरूप उन्होंने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की।


             कैसे मिली रामायण लिखने की प्रेरणा- जब रत्नाकर को अपने पापो का आभास हुआ, तब उन्होंने उस जीवन को त्याग कर नया पथ अपनाया, लेकिन इस पथ के बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था तब उन्होंने नारद जी से ही मार्ग पूछा, तब नारद जी ने उन्हें गायन्त्री मन्त्र की स्तुति करने की सलाह दी। रत्नाकर ने बहुत लम्बे समय तक गायत्री मन्त्र की स्तुति की जिस कारण अज्ञान का नाश हुआ और ज्ञान की प्राप्ति हुई और फिर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण नाम के ग्रन्थ की रचना की।


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